What was found in Lothal Harappan Site, Gujarat? History of Lothal and Ancient Engineering [हिंदी ]
लोथल, इस पौराणिक नगर में आप का स्वागत है
लोथल एक दुनिया की सबसे प्रचिन्ग एवं ऐतिहासिक जगह है जो गुजरात राज्य के भाल जिले में स्थित है।
लोथल केवल एक पुराणिक नगर नहीं हे, बल्कि ये अपनी सुगम नगर रचना और उस समय के सर्व श्रेष्ठ धातु विज्ञानं के लिए आज भी सुप्रसिद्ध हे।
ASI यानिकि Archaeological Survey of India के अनुसार, लोथल के पास दुनिया का सबसे पहला ज्ञात डॉक था, जो शहर को प्राचीन साबरमती नदी से जोड़ता था।
यह सिंध में हड़प्पा शहरों और सौराष्ट्र के प्रायद्वीप के बीच का व्यापार मार्ग था जब आज के कच्छ रेगिस्तान के आसपास की भूमि अरब सागर का हिस्सा थी।
लोथल प्राचीन काल में एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था, जिसमें पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक पहुंचने वाले मोतियों, रत्नों और मूल्यवान आभूषणों का व्यापार होता था। लोथल के पुराणिक लोग बिड बना ने में और धातु विज्ञानं में इतने पारंगत थे की उस समय की तकनीके एवं उपकरण 4000 साल से भी ज्यादा समय तक परिस्थितिओ की मार सहन करने के बावजूद भी बचे रहे ।
जब मूल सिंधु सभ्यता मोहनजो-दारो और हड़प्पा ख़तम होने को थी , लोथल न केवल सभ्यता को बचाने में कामयाब रहा, पर कई बरसो तक समृद्ध रहा। बादमे निरंतर खतरे जैसेकि - उष्णकटिबंधीय तूफान और बाढ़ - ने लोथल में अपार विनाश किया, जिसने संस्कृति को अस्थिर कर दिया और अंततः इसका अंत हुआ।
स्थलाकृतिक विश्लेषण यह भी संकेत देता है कि इसके निधन के समय, यह क्षेत्र शुष्कता या कमजोर मॉनसून वर्षा से ग्रस्त था। इस प्रकार शहर के परित्याग का कारण जलवायु में परिवर्तन के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाएं भी हो सकती हैं।
लोथल इंजीनियरों ने नौसैनिक व्यापार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक डॉकयार्ड और गोदाम के निर्माण को उच्च प्राथमिकता दी थी।
सभी निर्माण आग से सूखे हुई ईंटों, चूने और रेत मोर्टार से किए गए थे न कि धूप में सूखने वाली ईंटों के द्वारा, क्योंकि ईंट 4000 साल बाद भी बरकरार हैं और अभी भी मोर्टार बॉन्ड के साथ एक दूसरे के साथ बंधे हुए हैं।
कस्बे और उसके संस्थानों के समान संगठन इस बात का प्रमाण देते हैं कि हड़प्पा के लोग बहुत ही अनुशासित थे।
हड़प्पा संस्कृति के लोग कला और चित्रकला पारंगत थे जिसमे उनके प्राकृतिक परिवेश में जानवरों के यथार्थवादी चित्रण शामिल थे। लोथल के धातु के बर्तन, सोना और खूबसूरती से सजाये गए आभूषण लोगों की संस्कृति और समृद्धि की निशानी है।
लोथल के लोगों ने शहर नियोजन, कला, वास्तुकला, विज्ञान, इंजीनियरिंग, मिट्टी के बर्तनों और धर्म के क्षेत्र में सिंधु युग में मानव सभ्यता में महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान दिया।
लोथल का एक हाथीदांत से बना हुवा मापन यंत्र सिंधु सभ्यता का सबसे छोटे दशमलव विभाजन यन्त्र है । यह 6 मिलीमीटर (0.2 इंच) मोटा, 15 मिमी (0.59 इंच) चौड़ा और 128 मिमी लम्बा है।
लोथल का तांबा असामान्य रूप से शुद्ध होता है, जिसमें सिंधु घाटी के बाकी हिस्सों में उपयोग किए जाने वाले कॉपर की तुलना में आर्सेनिक की कमी होती है।
किश और उर (आधुनिक इराक), जलालाबाद (अफगानिस्तान) और सुसा (ईरान) में उत्कीर्ण कार्नेलियन मोती और गैर-etched बैरल मोतियों की खोज पश्चिम एशिया में सिंधु मनका उद्योग की लोकप्रियता का प्रमाण देते है।
लोथल बीड बनाने वालों के तरीके इतने उन्नत थे कि 4,000 वर्ष बाद भी आज - खंभात क्षेत्र में आधुनिक निर्माता इसी तकनीक का उपयोग करते है।
लोथल को द्रविड़ियन माना जाता था, लेकिन वेदों और अन्य संस्कृत शास्त्रों के साथ हाल के निष्कर्षों का मानना है कि यह उप-महाद्वीप आर्य सभ्यता का उद्गम स्थल था।
आज लोथल में एक संग्रहालय भी बनाया गया है जंहा पे बहोतसारी पुराणी चीज़ो को संभल कर रखा गया है. यह शुक्रवार यानि के फ्राइडे को बंध रहता है अन्यथा सुबह १० बजे से शाम ५ बजे तक खुला रहता है।
तो दोस्तों लोथल में दखने के लिए नाहीं कोई भव्य किला हे या नहीं कोई मंदिर।
लेकिन अगर आप पुराणिक सभ्यता के अवशेषों को नज़दीक से देखना और महसूस करना चाहते है, तो एक बार लोथल जरूर जाइए और यहाँ के खंडहर हुवे पुरानी सख्यता के अवशेषों में अपनी कल्पना की दृष्टि से एक बार फिर वही नगर को जिवंत कीजिए।
सुझाव:
लोथल घूमने के लिए शर्दी या वसंत ऋतु का चयन करे क्युकी गर्मिओ में बहोत ही तेज़ धुप से परेशां होना पद सकता है. लोथल साइट तक पक्की सड़क एवं पार्किंग की पूर्ण सुविधा हे इसलिए रस्ते की फ़िक्र ना करे.
सामान्यतः दो से तीन घंटे का समय साइट विजिट एवं संग्रहालय के लिए पर्याप्त हे , मगर लोथल कुछ ही दूर रस्ते में आप दोनों तरफ खूबसूरत कमल के फूलो का एवं खूबसूरत पक्षीऔ का लुप्त उठा सकते है।
यंहा पे खाने पिने और रेस्टोरेंट की ज्यादा सुविधाएं नहीं है, इसलिए मेरा सुझाव है की आप या तो नास्ता करके पोहंचे या कुछ अपने साथ में रखे।
पीपली गांव लोथल से १८ किलोमीटर है जो सबसे नज़दीक जगह है जंहा पे थोड़ा खाने पिने का सामान मिल सकता है।
लोथल साइट अहमदाबाद से करीब ७८ किलोमीटर और भावनगर से ९७ किलोमीटर है।